Skip to main content

अध्यात्म, भौतिक विज्ञान की नजर से





-:अध्यात्म, भौतिक विज्ञान की नजर से:-

ऊर्जा, ब्रह्मांड, ईश्वर, विद्युत सेल, संवेग, जनरेटर

संसार कई अलौकिक तथा अविश्वसनीय वस्तुओं से भरा हुआ है | संसार में कई ऐसी चीजें हैं जिन्हें हम देख सकते हैं, सुन सकते हैं या स्पर्श कर सकते हैं, परंतु कई ऐसी चीजें ऐसी भी हैं जिन्हें हम केवल अनुभव ही कर सकते है तथा यह अनुभव ही हमें उन बातों को मानने के लिए बाध्य करता है । भौतिक विज्ञान, वेदों से लिए गए शब्द भौतिकी से है जिसका आशय प्राकृतिक शब्द से है अर्थात प्रकृति से संबंधित सभी वस्तुएं भौतिक विज्ञान में सम्मिलित की जाती है चाहे वह दृश्य हो चाहे अदृश्य । भौतिक विज्ञान में एक व्यापक शब्द है “ऊर्जा” । क्या होती है यह ऊर्जा ? ब्रह्मांड में किसी भी कार्य के होने के पीछे ऊर्जा ही होती है । ब्रह्मांड में यह ऊर्जा दो प्रकार की होती है, सकारात्मक ऊर्जा तथा नकारात्मक ऊर्जा । वह ऊर्जा जो किसी की सहायता करें, किसी कार्य का संपादन होने दे, जिसके होने से वहां खुशियां हो, वही सकारात्मक ऊर्जा होती है | इसके विपरीत जो किसी का विनाश करें, अहित सोचे, उस ऊर्जा को नकारात्मक ऊर्जा कहते हैं । वैसे ब्रह्मांड में सभी जगह इन ऊर्जाओ का अस्तित्व रहता है।  कहीं-कहीं ये लुप्त स्थिति में होती है तथा कहीं-कहीं ये स्रोत के रूप में पाई जाती है।
आइंस्टाइन के अनुसार संसार की सभी वस्तुएं जिनमें द्रव्यमान होता है तो उनमें द्रव्यमान ऊर्जा होती है यह ऊर्जा सकारात्मक होगी या नकारात्मक वह वस्तु के संवेग के ऊपर निर्भर करती है।  ऊर्जा संरक्षण नियम के अनुसार ऊर्जा को ना तो बनाया जा सकता है ना ही नष्ट किया जा सकता है।  यह एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित होती रहती है ।  जिस प्रकार एक विद्युत सेल विद्युत ऊर्जा को संरक्षित कर रासायनिक ऊर्जा में परिवर्तित कर देता है तथा समय आने पर यही रासायनिक ऊर्जा विद्युत ऊर्जा में रूपांतरित हो जाती है | विद्युत ऊर्जा को एक विद्युत मोटर यांत्रिक ऊर्जा में परिवर्तित कर देती है । इसी प्रकार यही विद्युत ऊर्जा किसी बल्ब द्वारा ऊष्मा तथा प्रकाश ऊर्जा में परिवर्तित कर दी जाती है । इसके विपरीत यदि विद्युत मोटर को यांत्रिक ऊर्जा दी जाए तो वह विद्युत ऊर्जा उत्पादित करती है | जिसका अच्छा उदाहरण जनरेटर में देखने को मिलता है | इसी प्रकार इंसान भी एक ऊर्जा का पैकेट है, जो कार्य करता है तथा थक जाने पर ऊर्जा के लिये  खाना खाकर पुनः कार्य में लग जाता है | यह प्रक्रिया चलती रहती है | इसका मतलब यह कहा जा सकता है कि इंसान तथा सभी जीव या सभी वस्तुएं ऊर्जाओं के पैकेट होते हैं तथा रासायनिक सेल की त्तरह कार्य करते है । किसी असहाय व्यक्ति को देखकर दया का भाव आना तथा उसके प्रति कुछ अच्छा करने की लालसा ही आपको अपनी उर्जा को उसके प्रति सकारात्मक रूप से खर्च करने के लिए बाध्य करती है इसी प्रकार किसी को किसी के प्रति अनिष्ट करने के लिए आने वाला क्रोध ही आप की नकारात्मक ऊर्जा है । दूसरों के लिये ये भाव आपके संवेग पर निर्भर करते है । दोनों ही स्थितियों में आप अपनी कुल ऊर्जा को ही खर्च करते हैं तथा ऊर्जा का रूपांतरण करते है । अध्यात्म के अनुसार जो किसी का अच्छा करें, हित सोचे, उसी सकारात्मक ऊर्जा को ईश्वर, भगवान या वह परम शक्ति माना गया है जिसको सभी धर्म अपने-अपने अनुसार से जानते हैं तथा किसी का अहित तथा नुकसान करने वाली ऊर्जा ही नकारात्मक ऊर्जा होती है । जिन्हें धर्म के अनुसार भूत, राक्षस आदि नामों से संज्ञा दी  गई है। अगले व्यक्ति के लिए आप ईश्वर हैं या राक्षस यह आप पर निर्भर करता है कि, आपने अपनी ऊर्जा को सकारात्मक ऊर्जा में परिवर्तित किया है या नकारात्मक ऊर्जा | क्योंकि, आप खुद एक कुल ऊर्जा है । जिसे अध्यात्म आत्मा कहता है और यह भी कहता है कि एक परमात्मा है जो कि पूर्णतया शुद्ध सकारात्मक ऊर्जा है । वेदों के अनुसार ईश्वर सभी जगह है । भौतिक विज्ञान भी यही कहती है कि, सभी जगह कुछ ना कुछ कण पाए जाते हैं और इन्हीं कणों से मिलने वाली ऊर्जा कण रूप से पाई गई है । उनसे अगर आप सकारात्मक ऊर्जा बना पाते हैं तो वह आपके लिए ईश्वर होगी और अगर आपने इन्हीं से नकारात्मक ऊर्जा बनाने की कोशिश की तो आपके लिए वह नकारात्मक ही साबित होगी । ऊर्जा का रूपांतरण एक बहुत अच्छे उदाहरण से समझा जा सकता है । जिस प्रकार एक व्यक्ति क्रोध में आकर अगर दूसरे व्यक्ति को कुछ अपशब्द कहता है । अगर दूसरा व्यक्ति उसे ग्रहण करके यह मान लेता है कि वह शब्द मेरे लिए कहे गए हैं तो उसे भी क्रोध आ जाता है तथा अगर दूसरा व्यक्ति यह मान ले कि वह शब्द मेरे लिए थे ही नहीं या किसी कारणवश उन शब्दों को सुन ही नहीं पाए, तो दूसरे व्यक्ति को गुस्सा नहीं आएगा अपितु प्रथम व्यक्ति को ही क्रोध की प्रथम सीमा से अधिक क्रोध आएगा क्योंकि, कोई भी वस्तु अगर आप किसी को देते हैं और वह उसे ले लेता है, तो वह उसकी है | अन्यथा उस वस्तु पर अभी तक आप का ही अधिकार रहता है |

ऊर्जाब्रह्मांड, ईश्वरविद्युत सेलसंवेगजनरेटर

Trending

Physics Quiz No-1 फिजिक्स के प्रश्नपत्र -1

General Physics | Physics Quiz | Physics questions.  जनरल फिजिक्स।  फिजिक्स क्विज।  फिजिक्स के प्रश्न।  Physics Quiz No-1 फिजिक्स के प्रश्नपत्र -1 Learn Physics फिज़िक्स सीखो  Loading… General Physics | Physics Quiz | Physics questions.  जनरल फिजिक्स।  फिजिक्स क्विज।  फिजिक्स के प्रश्न

Carbon Nanotube कार्बन नैनोट्यूब

कार्बन नैनोट्यूब, कार्बन नैनोट्यूब के प्रकार, SWCNs, MWCNs, नैनोट्यूब के प्रकार, संश्लेषण, नैनोट्यूब का उपयोग कार्बन नैनोट्यूब कार्बन नैनोट्यूब एक नैनो संरचना वाला बेलन होता है । जिसकी लंबाई व्यास की तुलना में काफी अधिक होती है । कार्बन नैनोट्यूब कई प्रकार के होते हैं जैसे मल्टीवॉल कार्बन नैनोट्यूब, सिंगल वॉल कार्बन नैनोट्यूब । 1. सिंगल वॉल कार्बन नैनोट्यूब का व्यास करीब 1 नैनोमीटर होता है । यह तीन प्रकार के होते हैं जिगजैग, आर्मचेयर तथा काइरल । 2. मल्टीवॉल कार्बन नैनोट्यूब में एक से ज्यादा दीवारें होती है । इन दीवारों के मध्य दूरी लगभग 3.3 अंगस्ट्रोम होती है । कार्बन नैनोट्यूब के कुछ विशेष गुण होते हैं । यह बहुत अधिक मजबूत होते हैं । विद्युत तथा ताप के उच्च चालक होते हैं । कार्बन नैनोट्यूब संश्लेषण निम्न विधियों द्वारा किया जा सकता है आर्क डिस्चार्ज, लेजर पृथक्करण, रासायनिक वाष्प जमाव (CVD) इत्यादि । कार्बन नैनोट्यूब का उपयोग विद्युत परिपथो, बैटरी, सोलर सेल, अल्ट्रा संधारित्र आदि के रूप में किया जाता है । Carbon Nanotube, Types of Carb

Popular